Sunday, 21 February 2016

Bashir Badr

इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी 



लोग तुझ को मेरा मेहबूब समझते होंगे
जो ना मिला हो उसकी जुस्तजु वाजिब है 


जो मिलकर भी हासिल न हो सके, उसका क्या करें ?

Thursday, 11 February 2016

Sunayna

बड़ी मासूमियत से वो अक्सर पूछता है कुसूर खुद का
कहता है क़ि दिखाओ निशान गर ज़ख्म दिए है मैने

Katil Sifai

Wednesday, 10 February 2016

Connection

नया इक रब्त पैदा क्यूँ करें हम 
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

Agar talaash karun koi mil hi jayega

Agar talaash karun koi mil hi jayega
Magar tumhari tarah kaun mujhko chahega
Tumhen zaroor koi chahaton se dekhega
Magar wo aankhen hamaari kahan se layega
Na jane kab tire dil par nayi si dastak ho
Makaan khali hua hai to koi ayega
Main apni raah mein deewar ban key baitha hun
Agar wo aaya to kis raaste se ayega
Tumhare saath ye mausam farishton jaisa hai
Tumhare baad ye mausam bahut sataayega

Subah

Pawan

सच मान बैठी थी की तू मेरा है 
फिर जाना कि वो अफवाह तकदीर ने फैलाई थी

Javed Akhtar Poem

दिल आखिर तू क्यूँ रोता है
दुनिया में यूँही होता है
यह जो गहरे सन्नाटे हैं
वक़्त ने सबको ही बांटे हैं
थोडा ग़म है सबका किस्सा
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम हैं
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है

spark

तू आ लौटकर, कि बस तेरा आना ही बाकी है 
मैं तो अमावस हूँ, तेरा शरर बनना ही बस काफी है

Raakh

राख के अंबारों में अपना ज़हन ढ़ूंढता फ़िरता है
कितने ख़त थे जो उसने बिना पढ़े ही जला दिये
अब तो बस मैं हूँ और एक ये मायूस सा कमरा है 

जैसे किसी ने बच्चों के सारे खिलौने छुपा दिये

Nida Fazli

बचा न कहने को कुछ भी हर बात हो गयीआओ कही शराब पीये रात हो गयीनक्शा उठाकर कोई नया शहर देखियेअब तो इस शहर में सबसे मुलाकात हो गयी।

सिर्फ शराब में कहाँ वो मुकम्मल नशा
कोइ कहो उनकी याद को 
की रात हो गई

sh

मिटटी के जिस्म हैं, तेज़ बारिश में भी गल जाते है 
हम इंसान न जाने किस बात पे इतराते है

Shayari

फ़क़त रूहानी एहसास है और नज़र आता नहीं
मेरा मेहबूब भी लगता है, अब मेरा खुदा हो चला है

Friday, 5 February 2016

Charlie Chaplin


अब विदा लेता हूं
मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूं
मैंने एक कविता लिखनी चाही थी
सारी उम्र जिसे तुम पढ़ती रह सकतीं
उस कविता में
महकते हुए धनिए का जिक्र होना था
ईख की सरसराहट का जिक्र होना था
उस कविता में वृक्षों से टपकती ओस
और बाल्टी में दुहे दूध पर गाती झाग का जिक्र होना था
और जो भी कुछ
मैंने तुम्हारे जिस्म में देखा
उस सब कुछ का जिक्र होना था
उस कविता में मेरे हाथों की सख्ती को मुस्कुराना था
मेरी जांघों की मछलियों ने तैरना था
और मेरी छाती के बालों की नरम शॉल में से
स्निग्धता की लपटें उठनी थीं
उस कविता में
तेरे लिए
मेरे लिए
और जिन्दगी के सभी रिश्तों के लिए बहुत कुछ होना था मेरी दोस्त
लेकिन बहुत ही बेस्वाद है
दुनिया के इस उलझे हुए नक्शे से निपटना
और यदि मैं लिख भी लेता
शगुनों से भरी वह कविता
तो उसे वैसे ही दम तोड़ देना था
तुम्हें और मुझे छाती पर बिलखते छोड़कर
मेरी दोस्त, कविता बहुत ही निसत्व हो गई है
जबकि हथियारों के नाखून बुरी तरह बढ़ आए हैं
और अब हर तरह की कविता से पहले
हथियारों के खिलाफ युद्ध करना ज़रूरी हो गया है
युद्ध में
हर चीज़ को बहुत आसानी से समझ लिया जाता है
अपना या दुश्मन का नाम लिखने की तरह
और इस स्थिति में
मेरी तरफ चुंबन के लिए बढ़े होंटों की गोलाई को
धरती के आकार की उपमा देना
या तेरी कमर के लहरने की
समुद्र के सांस लेने से तुलना करना
बड़ा मज़ाक-सा लगता था
सो मैंने ऐसा कुछ नहीं किया
तुम्हें
मेरे आंगन में मेरा बच्चा खिला सकने की तुम्हारी ख्वाहिश को
और युद्ध के समूचेपन को
एक ही कतार में खड़ा करना मेरे लिए संभव नहीं हुआ
और अब मैं विदा लेता हूं
मेरी दोस्त, हम याद रखेंगे
कि दिन में लोहार की भट्टी की तरह तपने वाले
अपने गांव के टीले
रात को फूलों की तरह महक उठते हैं
और चांदनी में पगे हुई ईख के सूखे पत्तों के ढेरों पर लेट कर
स्वर्ग को गाली देना, बहुत संगीतमय होता है
हां, यह हमें याद रखना होगा क्योंकि
जब दिल की जेबों में कुछ नहीं होता
याद करना बहुत ही अच्छा लगता है
मैं इस विदाई के पल शुक्रिया करना चाहता हूं
उन सभी हसीन चीज़ों का
जो हमारे मिलन पर तंबू की तरह तनती रहीं
और उन आम जगहों का
जो हमारे मिलने से हसीन हो गई
मैं शुक्रिया करता हूं
अपने सिर पर ठहर जाने वाली
तेरी तरह हल्की और गीतों भरी हवा का
जो मेरा दिल लगाए रखती थी तेरे इंतज़ार में
रास्ते पर उगी हुई रेशमी घास का
जो तुम्हारी लरजती चाल के सामने हमेशा बिछ जाता था
टींडों से उतरी कपास का
जिसने कभी भी कोई उज़्र न किया
और हमेशा मुस्कराकर हमारे लिए सेज बन गई
गन्नों पर तैनात पिदि्दयों का
जिन्होंने आने-जाने वालों की भनक रखी
जवान हुए गेंहू की बालियों का
जो हम बैठे हुए न सही, लेटे हुए तो ढंकती रही
मैं शुक्रगुजार हूं, सरसों के नन्हें फूलों का
जिन्होंने कई बार मुझे अवसर दिया
तेरे केशों से पराग केसर झाड़ने का
मैं आदमी हूं, बहुत कुछ छोटा-छोटा जोड़कर बना हूं
और उन सभी चीज़ों के लिए
जिन्होंने मुझे बिखर जाने से बचाए रखा
मेरे पास शुक्राना है
मैं शुक्रिया करना चाहता हूं
प्यार करना बहुत ही सहज है
जैसे कि जुल्म को झेलते हुए खुद को लड़ाई के लिए तैयार करना
या जैसे गुप्तवास में लगी गोली से
किसी गुफा में पड़े रहकर
जख्म के भरने के दिन की कोई कल्पना करे
प्यार करना
और लड़ सकना
जीने पर ईमान ले आना मेरी दोस्त, यही होता है
धूप की तरह धरती पर खिल जाना
और फिर आलिंगन में सिमट जाना
बारूद की तरह भड़क उठना
और चारों दिशाओं में गूंज जाना -
जीने का यही सलीका होता है
प्यार करना और जीना उन्हे कभी नहीं आएगा
जिन्हें जिन्दगी ने बनिए बना दिया
जिस्म का रिश्ता समझ सकना,
खुशी और नफरत में कभी भी लकीर न खींचना,
जिन्दगी के फैले हुए आकार पर फि़दा होना,
सहम को चीरकर मिलना और विदा होना,
बड़ी शूरवीरता का काम होता है मेरी दोस्त,
मैं अब विदा लेता हूं
जीने का यही सलीका होता है
प्यार करना और जीना उन्हें कभी आएगा नही
जिन्हें जिन्दगी ने हिसाबी बना दिया
ख़ुशी और नफरत में कभी लीक ना खींचना
जिन्दगी के फैले हुए आकार पर फिदा होना
सहम को चीर कर मिलना और विदा होना
बहुत बहादुरी का काम होता है मेरी दोस्त
मैं अब विदा होता हूं
तू भूल जाना
मैंने तुम्हें किस तरह पलकों में पाल कर जवान किया
कि मेरी नजरों ने क्या कुछ नहीं किया
तेरे नक्शों की धार बांधने में
कि मेरे चुंबनों ने
कितना खूबसूरत कर दिया तेरा चेहरा कि मेरे आलिंगनों ने
तेरा मोम जैसा बदन कैसे सांचे में ढाला
तू यह सभी भूल जाना मेरी दोस्त
सिवा इसके कि मुझे जीने की बहुत इच्छा थी
कि मैं गले तक जिन्दगी में डूबना चाहता था
मेरे भी हिस्से का जी लेना
मेरी दोस्त मेरे भी हिस्से का जी लेना