दिल आखिर तू क्यूँ रोता है
दुनिया में यूँही होता है
दुनिया में यूँही होता है
यह जो गहरे सन्नाटे हैं
वक़्त ने सबको ही बांटे हैं
वक़्त ने सबको ही बांटे हैं
थोडा ग़म है सबका किस्सा
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम हैं
हर पल एक नया मौसम है
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है
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